भारत में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने की प्रक्रिया को लेकर केंद्र सरकार ने बड़े बदलाव किए हैं। अब लोगों को लाइसेंस के लिए आरटीओ (RTO) में जाकर लंबी लाइनों में लगने या टेस्ट देने की जरूरत नहीं होगी। ये नया नियम पूरे देश में लागू किया जा चुका है और इससे लाखों लोगों को बड़ी राहत मिलेगी। आइस इस पूरी खबर को विस्तार से जानते हैं।

आरटीओ में टेस्ट की अब नहीं जरूरत
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) के नए दिशानिर्देशों के अनुसार, अब आवेदकों को ड्राइविंग टेस्ट के लिए आरटीओ में उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं होगी। इसके बजाय, जो भी आवेदक किसी मान्यता प्राप्त ड्राइविंग प्रशिक्षण संस्थान से ट्रेनिंग पूरी कर लेता है और वहां का टेस्ट पास करता है, उसे एक प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा। इस प्रमाणपत्र के आधार पर लाइसेंस सीधे जारी कर दिया जाएगा, बिना किसी अतिरिक्त परीक्षा के।
प्रमाणित ड्राइविंग प्रशिक्षण संस्थानों की भूमिका
नई व्यवस्था के तहत ड्राइविंग स्कूल और प्रशिक्षण केंद्र सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। केवल वही संस्थान लाइसेंस के लिए पात्रता प्रमाणपत्र जारी करने के योग्य होंगे जिन्हें परिवहन मंत्रालय से आधिकारिक मान्यता मिली हो।
इन संस्थानों को कुछ मानक सुविधाएं और योग्य प्रशिक्षक रखने की आवश्यकता होगी:
- दोपहिया, तिपहिया और हल्के मोटर वाहनों के प्रशिक्षण के लिए कम से कम 1 एकड़ भूमि जरूरी होगी।
- मध्यम और भारी वाहनों के प्रशिक्षण के लिए 2 एकड़ भूमि होनी चाहिए।
- प्रशिक्षक कम से कम 12वीं पास होना चाहिए, साथ ही 5 साल का ड्राइविंग अनुभव और सड़क सुरक्षा व ट्रैफिक नियमों की अच्छी जानकारी होना जरूरी है।
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प्रशिक्षण अवधि और कोर्स संरचना
हल्के मोटर वाहनों (LMV) के लिए पूरा प्रशिक्षण कोर्स अधिकतम 4 सप्ताह में पूरा किया जाएगा। इसमें कुल 29 घंटे का प्रशिक्षण शामिल होगा:
- 21 घंटे का व्यावहारिक प्रशिक्षण, जिसमें ग्रामीण सड़कों, शहर की सड़कों, राजमार्गों, पार्किंग, रिवर्सिंग, चढ़ाई और उतराई में ड्राइविंग सिखाई जाएगी।
- 8 घंटे का सैद्धांतिक प्रशिक्षण, जिसमें सड़क सुरक्षा, ट्रैफिक नियम, प्राथमिक चिकित्सा, दुर्घटनाओं की रोकथाम, और ईंधन प्रबंधन जैसे विषय पढ़ाए जाएंगे।
आवेदकों के लिए फायदे
- आरटीओ कार्यालयों की भीड़ घटेगी और प्रक्रिया आसान होगी।
- इच्छुक उम्मीदवार अपने नजदीकी मान्यता प्राप्त ड्राइविंग स्कूल से सीधे टेस्ट देकर लाइसेंस प्राप्त कर सकेंगे।
- यह व्यवस्था पारदर्शिता बढ़ाएगी और भ्रष्टाचार की संभावनाओं को कम करेगी।