भारत सरकार और राज्य सरकारें किसानों को खेती के लिए सौर ऊर्जा अपनाने में मदद करने के लिए विशेष सब्सिडी योजनाएं चला रही हैं। ये योजनाएं खासतौर पर उन किसानों के लिए हैं जो अपने खेतों में ट्यूबवेल पर सोलर पंप लगाना चाहते हैं। इस पहल के जरिए किसान 60% तक की सब्सिडी का लाभ उठा सकते हैं, जिससे उनकी लागत में काफी कमी आती है। इसके अलावा, कई राज्यों में अतिरिक्त लोन की सुविधा भी मिलती है, जो सोलर पंप लगवाने में आर्थिक मदद करती है।

सब्सिडी के फायदे
सोलर ट्यूबवेल से किसान अपनी सिंचाई का खर्चा डीजल या बिजली के बजाय सौर ऊर्जा द्वारा कम कर सकते हैं। ट्यूबवेल पर सोलर पंप की मदद से खेतों में नियमित सिंचाई करना आसान हो जाता है, जिससे फसलों की पैदावार बढ़ती है। इस योजना के तहत आमतौर पर 3 से 10 हॉर्सपॉवर क्षमता वाले सोलर पंप पर सब्सिडी दी जाती है। उदाहरण के लिए, हरियाणा जैसे राज्यों में यह सब्सिडी 75% तक पहुंचती है, जो किसानों के लिए बड़ी राहत है।
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आवेदन प्रक्रिया और अंतिम तिथि
सोलर ट्यूबवेल सब्सिडी पाने के लिए किसान संबंधित राज्य की नोडल एजेंसी या केंद्रीय सरकार के पोर्टल पर आवेदन कर सकते हैं। आवेदन के लिए आवश्यक दस्तावेजों में आधार कार्ड, जमीन के कागजात, बैंक पासबुक और पहचान पत्र शामिल हैं। आवेदन के बाद विभाग द्वारा siteinspection और सत्यापन किया जाता है। इस वर्ष कई राज्यों में इस योजना के लिए आवेदन की आखिरी तारीख नजदीक आ चुकी है, जैसे कि हरियाणा में 21 अप्रैल 2025 अंतिम तिथि है। इसलिए किसानों को चाहिए कि वे जल्द से जल्द आवेदन करें ताकि योजना का लाभ पा सकें।
सरकारी पहल का महत्व
यह योजना न सिर्फ किसानों के बिजली खर्च में कटौती करती है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा देती है क्योंकि सौर ऊर्जा स्वच्छ और नवीकरणीय स्रोत है। इससे किसान अपनी खेती को अधिक उत्पादक और टिकाऊ बना सकते हैं। सरकार का लक्ष्य है कि हर गांव में ऊर्जा सुरक्षा, आर्थिक समृद्धि और स्थायी कृषि को बढ़ावा दिया जाए।