
बिहार में लंबे समय से प्रतीक्षित पटना-बिहटा से औरंगाबाद तक नई रेल लाइन परियोजना को आखिरकार मंजूरी मिल गई है। इस रेल रूट की कुल लंबाई लगभग 117 किलोमीटर होगी और इसके निर्माण पर करीब ₹3,606.42 करोड़ रुपये की लागत आएगी। इस योजना को तीन जिलों पटना, अरवल और औरंगाबाद को जोड़ने के लिए तैयार किया गया है।
14 स्टेशन और 10 हॉल्ट शामिल
रेल मंत्रालय की मंजूरी के अनुसार, इस परियोजना के तहत 14 स्टेशन और 10 हॉल्ट बनाए जाएंगे। ये स्टेशन क्रमशः बिहटा, विक्रम, दुल्हिन बाजार, पालीगंज, बारा, अरवल, खर्भेणी, मेहंदिया, कलेर, शमशेर नगर, दाउदनगर, ओबरा, भरथौली और औरंगाबाद होंगे। इस रेल लाइन से दक्षिण बिहार के ग्रामीण इलाकों को पहली बार रेल नेटवर्क से विस्तृत रूप में जोड़ा जाएगा।
पटना से औरंगाबाद की दूरी घटेगी
नए ट्रैक के शुरू होने के बाद पटना से औरंगाबाद के बीच का सफर केवल डेढ़ से दो घंटे में पूरा किया जा सकेगा, जबकि फिलहाल इस रूट पर बस या सड़क मार्ग से यात्रा करने में लगभग पांच घंटे लगते हैं। इस बदलाव से यात्रियों को समय की बचत होगी और परिवहन का दबाव भी कम होगा।
आर्थिक और सामाजिक लाभ
यह रेल लाइन केवल परिवहन का माध्यम नहीं, बल्कि आर्थिक उन्नति का जरिया भी बन सकती है।
- स्थानीय लोगों को व्यापार, कृषि और सेवा क्षेत्र में नए अवसर मिलेंगे।
- किसानों को अपने उत्पादों को शहरों तक पहुंचाने में सुविधा होगी।
- छात्रों और नौकरीपेशा लोगों का आवागमन सरल हो जाएगा।
- छोटे उद्योग और व्यापार केंद्रों को बढ़ावा मिलेगा।
परियोजना को 2007 में मिली थी प्रारंभिक मंजूरी
दिलचस्प तथ्य यह है कि इस रेल परियोजना को पहली बार वर्ष 2007 में स्वीकृति दी गई थी, लेकिन आवश्यक प्रक्रियाओं और भूमि अधिग्रहण में देरी की वजह से इसका कार्य शुरू नहीं हो पाया था। अब नई सरकार द्वारा इसे पूरी प्राथमिकता में शामिल किया गया है जिससे निर्माण कार्य शीघ्र शुरू होने की उम्मीद है।
विकास की नई दिशा
पटना-औरंगाबाद नई रेल लाइन न केवल यात्रा को सुगम बनाएगी, बल्कि क्षेत्रीय विकास, रोजगार और औद्योगिक गतिविधियों को भी रफ्तार देगी। ग्रामीण इलाकों से शहरों की दूरी घटेगी और दक्षिण बिहार को नई पहचान मिलेगी। रेल लाइनों का विस्तार राज्य के संतुलित विकास की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा।