ग्रामीण भारत में अब बकरी पालन पारंपरिक खेती का पूरक नहीं, बल्कि एक सफल व्यवसाय बनता जा रहा है। आधुनिक तकनीक और सरकारी सहायता ने इस क्षेत्र में नई ऊर्जा भर दी है। अब किसान केवल डेयरी या खेती तक सीमित नहीं रहना चाहते, बल्कि बकरी पालन जैसे उद्यमों से स्थायी आमदनी के रास्ते तलाश रहे हैं।

सरकार की पहल और किसानों की बढ़ती दिलचस्पी
केंद्र सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य के तहत पशुधन से जुड़ी कई लुभावनी योजनाएं शुरू की हैं। इन योजनाओं में सबसे ज्यादा आकर्षण बकरी पालन योजना में देखने को मिल रहा है। इस योजना के तहत किसान केवल दो लाख रुपये का निवेश कर 100 बकरियों और 5 बकरों का पालन शुरू कर सकते हैं।
सरकार इस पर 18 लाख रुपये तक का ऋण देती है, जिसमें 50 प्रतिशत सब्सिडी का प्रावधान है। यानी किसान को वास्तविक लागत का आधा हिस्सा वापस मिल सकता है। योजना के अनुसार, एक किसान प्रति वर्ष लगभग नौ लाख रुपये तक की आय कमा सकता है।
प्रशिक्षण जरूरी, मखदूम संस्थान निभा रहा अहम भूमिका
फरह क्षेत्र के मखदूम में स्थित केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान इस क्षेत्र में किसानों को प्रशिक्षित करने का प्रमुख केंद्र है। संस्थान के वैज्ञानिकों के मुताबिक, पहले यह परंपरागत पेशा था, लेकिन आधुनिक तकनीक और बाजार मांग ने इसे उद्यम का रूप दे दिया है।
यहां वर्षभर में दस राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जिनमें देशभर के किसान भाग लेते हैं। प्रशिक्षण में नस्ल सुधार, पोषण और स्वास्थ्य प्रबंधन, कृत्रिम गर्भाधान, दूध और मांस उत्पादन के तरीके तथा बाजार में बिक्री के आधुनिक मॉडल सिखाए जाते हैं। प्रशिक्षण पूरा करने वाले किसान सीधे सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं।
सरकार की प्रमुख योजनाएं
- राष्ट्रीय पशुधन योजना: इसके तहत किसान 100 बकरी और 5 बकरों के पालन के लिए 20 लाख रुपये की परियोजना का लाभ ले सकते हैं। इसमें से 2 लाख स्वयं निवेश करने होते हैं, जबकि शेष 18 लाख रुपये ऋण के रूप में मिलते हैं। इस पर कुल 50 प्रतिशत सब्सिडी मिलती है।
- प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना: छोटे स्तर पर बकरी पालन शुरू करने वालों के लिए यह योजना बहुत लाभदायक है। इसके तहत किसान 50 बकरी और 3 बकरों के पालन के लिए 10–15 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता प्राप्त कर सकते हैं। सामान्य वर्ग को 25 प्रतिशत जबकि अनुसूचित जाति व महिला उम्मीदवारों को 35 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाती है।
यह भी देखें- योगी सरकार दे रही है ₹18 लाख का लोन इस योजना में, 50% सब्सिडी के साथ, जानिए कैसे बन सकते हैं मालामाल
बढ़ती मांग और बाजार की संभावनाएं
देश में बकरियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। 2012 की पशुगणना में जहां यह संख्या 135 मिलियन थी, वहीं 2019 में बढ़कर 149 मिलियन पहुंच गई। वर्तमान में लगभग साढ़े तीन करोड़ लोग इस व्यवसाय से जुड़े हैं। मांस, दूध, और खाद उत्पादन के अतिरिक्त बकरियों की खाल भी आय का बड़ा स्रोत बन रही है।
विशेषज्ञों की राय
केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान के निदेशक मनीष कुमार चेटली का कहना है कि सरकार बकरी पालन को संगठित उद्यम के रूप में विकसित करना चाहती है। योजना के तहत मिलने वाली 50 प्रतिशत सब्सिडी किसानों के लिए बड़ा प्रोत्साहन है। उचित प्रशिक्षण और प्रबंधन से कोई भी किसान इस व्यवसाय को स्थायी आमदनी के स्रोत में बदल सकता है।
संस्थान के डॉ. ए.के. दीक्षित बताते हैं कि यदि किसान हरी चारा उपलब्ध कराए, पौष्टिक दाना खिलाए और देखभाल पर ध्यान दे, तो एक वर्ष में लाखों रुपये की कमाई संभव है। जिले के कई किसानों ने सरकारी योजना का लाभ लेकर बकरी पालन शुरू किया है और परिणाम उत्साहजनक हैं।

















