सरकार ने अब कैश लेनदेन पर कड़ी निगरानी के लिए नए नियम लागू कर दिए हैं। अगर आप बार-बार बैंक से बड़ी रकम निकालते हैं, तो तैयार हो जाइए—अब हर ट्रांजैक्शन सरकार की नजर में होगा। नकद निकासी पर टैक्स देने की नौबत भी आ सकती है। इस कदम का मकसद डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देना और देश की वित्तीय व्यवस्था को अधिक पारदर्शी बनाना है।

सरकार का नया निर्देश
जो लोग साल में तय सीमा से अधिक नकद बैंक से निकालते हैं, उन्हें अब टैक्स का भुगतान करना पड़ सकता है। अगर कोई व्यक्ति अपने खाते से एक साल में ₹20 लाख से अधिक नकद राशि निकालता है और उसका बैंक खाता पैन या आधार से लिंक नहीं है, तो उस पर TDS (Tax Deducted at Source) लागू होगा।
वहीं जिन लोगों के खाते पैन और आधार से जुड़े हुए हैं, उनके लिए यह सीमा ₹1 करोड़ तक बढ़ाई गई है। इस राशि से अधिक निकासी पर बैंक या वित्तीय संस्था द्वारा एक तय दर पर टैक्स काटा जाएगा, जो सीधे सरकार के खाते में जाएगा।
किस कानून के तहत लागू हुआ प्रावधान
यह नियम आयकर अधिनियम की धारा 194N के तहत लागू किया गया है। इसका उद्देश्य नकद अर्थव्यवस्था को सीमित करना और हर बड़े आर्थिक लेनदेन को सिस्टम में रिकॉर्ड करना है। यह बदलाव खासतौर पर उन व्यापारियों और संस्थाओं को प्रभावित करेगा जो रोजाना या महीने में बड़ी नकद रकम का उपयोग करते हैं।
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टैक्स से बचने का आसान तरीका
अगर आप नहीं चाहते कि बैंक आपकी नकद निकासी पर टैक्स काटे, तो अपने सभी खाते पैन और आधार से लिंक करा लें। साथ ही, कोशिश करें कि आपके अधिकतर लेनदेन डिजिटल मोड से हों, जैसे Net Banking, UPI या Fund Transfer। इससे टैक्स कटौती से राहत मिलेगी और लेनदेन सुरक्षित रहेगा।
सरकार का उद्देश्य
यह कदम पारदर्शिता और टैक्स कम्प्लायंस बढ़ाने के लिए उठाया गया है। सरकार चाहती है कि प्रत्येक व्यक्ति अपने बैंक ट्रांजैक्शन का रिकॉर्ड बनाए और नकद निकासी को तय सीमा में रखे ताकि नकद फ्लो पर पूरी निगरानी रहे।
अब अगर आप सालाना कैश लिमिट से ज्यादा रकम निकालते हैं, तो तैयार रहें — बैंक उस पर टैक्स काटेगा और आपकी ट्रांजैक्शन सरकारी रिकॉर्ड में शामिल होगी।