
पुरानी पेंशन योजना केंद्र और राज्य सरकार के स्थायी कर्मचारियों के लिए 2004 से पहले लागू थी। इस व्यवस्था में रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों को उनकी अंतिम वेतन का लगभग 50-60% प्रतिमाह पेंशन के रूप में मिलता था। इतना ही नहीं, कर्मचारी की मृत्यु के बाद उसके परिवार को भी पेंशन का लाभ मिलता था ताकि परिवार की आर्थिक स्थिति पर कोई असर न पड़े। यह प्रणाली सरकारी नौकरियों को सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन का प्रतीक बनाती थी।
नई पेंशन योजना कब आई और क्या बदला
जनवरी 2004 से नई पेंशन योजना (NPS – National Pension System) लागू कर दी गई। इस व्यवस्था में कर्मचारियों के वेतन से एक निश्चित अंशदान काटकर उसे शेयर मार्केट और म्यूचुअल फंड जैसे निवेश माध्यमों में लगाया जाने लगा। इससे पेंशन की राशि बाजार के उतार-चढ़ाव पर निर्भर हो गई और तय रकम का भरोसा खत्म हो गया। यही वजह थी कि कर्मचारियों ने लगातार OPS को वापस लाने की मांग की।
किन राज्यों में पहले से बहाल है ओल्ड पेंशन
राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड और पंजाब जैसे राज्यों में पुरानी पेंशन योजना पहले ही बहाल की जा चुकी है। वहीं उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों के कर्मचारी भी अब इसी की मांग कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद उम्मीद बढ़ गई है कि केंद्र सरकार और अन्य राज्य भी इस दिशा में जल्द कदम उठा सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का प्रभाव
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि सरकारी कर्मचारियों की भविष्य की सुरक्षा सर्वोपरि है और उन्हें निश्चित पेंशन का अधिकार मिलना चाहिए। अदालत का यह फैसला न सिर्फ कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है, बल्कि सरकारों को भी इस दिशा में ठोस नीति बनाने के लिए प्रेरित करेगा।
क्यों जरूरी था यह फैसला
नई पेंशन योजना में पेंशन की अनिश्चितता कर्मचारियों के लिए सबसे बड़ी चिंता रही है। सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाली राशि बाजार पर निर्भर रहने से भविष्य की वित्तीय सुरक्षा संदिग्ध हो गई थी। दूसरी तरफ पुरानी पेंशन योजना में न सिर्फ गारंटीशुदा राशि मिलती है बल्कि जीवनभर का स्थायित्व भी बनाए रखती है। यही कारण है कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला लाखों कर्मचारियों के लिए खुशखबरी बन गया है।