भारत सरकार ने पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों के विकास हेतु प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना शुरू की है। इस योजना के जरिए विश्वकर्मा समुदाय की 140 से अधिक जातियों के कारीगरों को वित्तीय, तकनीकी तथा औजारों की सहायता प्रदान की जाती है, जिससे वे अपने काम में दक्षता और आय में वृद्धि कर सकें। आइए जानते हैं इस योजना में शामिल होने, इसका लाभ उठाने के लिए कैसे आवेदन करना होगा।

पीएम विश्वकर्मा योजना का उद्देश्य
इस योजना का मुख्य लक्ष्य है पारंपरिक कारीगरों को उनके क्षेत्र में तकनीकी और आर्थिक रूप से समर्थ बनाना ताकि वे अपनी सांस्कृतिक विरासत को बनाए रखते हुए रोजगार के बेहतर अवसर प्राप्त कर सकें। योजना के तहत अनेक प्रकार के कारीगर जैसे सुनार, मोची, लोहार, कुम्हार, बुनकर, दर्जी, मूर्तिकार, नाई, धोबी आदि लाभान्वित होते हैं।
योजना के मुख्य लाभ
- कारीगरों को निशुल्क तकनीकी प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है जिससे उनकी कार्यकुशलता बढ़ती है।
- प्रशिक्षण अवधि में दैनिक ₹500 का भत्ता मिलता है, जिससे आर्थिक सहायता होती है।
- ₹15,000 तक के टूलकिट की खरीदारी हेतु सहायता दी जाती है।
- आवश्यकता अनुसार 3,00,000 रुपये तक का लोन 5% ब्याज दर पर उपलब्ध होता है।
- योजना से सामाजिक और आर्थिक रूप से कारीगर समुदाय का सशक्तिकरण होता है।
पात्रता मानदंड
- आवेदक का विश्वकर्मा समुदाय से संबंध होना आवश्यक है।
- पारंपरिक कारीगर या शिल्पकार होना चाहिए।
- आवेदक भारत का मूल निवासी होना चाहिए।
- परिवार से केवल एक सदस्य इस योजना का लाभ उठा सकता है।
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आवश्यक दस्तावेज
- पैन कार्ड
- आधार कार्ड
- निवास प्रमाण पत्र
- बैंक खाता विवरण
- जाति प्रमाण पत्र
- पासपोर्ट आकार की फोटो
- मोबाइल नंबर
आवेदन प्रक्रिया क्या है?
आवेदन करने के लिए प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना की आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा। रजिस्ट्रेशन बटन दबाकर यूजर आईडी और पासवर्ड बनाएं। लॉगिन कर आवेदन पत्र भरें और आवश्यक दस्तावेज अपलोड करें। प्रमाण पत्र प्राप्त करने के बाद फॉर्म सबमिट कर पंजीकरण पूरा करें। यह प्रक्रिया ऑनलाइन के साथ-साथ स्थानीय CSC और ग्राम पंचायत के माध्यम से भी आसान बनाई गई है।
योजना का महत्व
यह योजना पारंपरिक कारीगरों को आधुनिक तकनीक से जोड़कर उनकी आर्थिक स्थिति सुधारने, रोजगार सृजन को बढ़ावा देने और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। यह उनके व्यवसाय को मजबूत बनाकर आत्मनिर्भरता प्रदान करती है और उन्हें देश के विकास में हिस्सेदार बनाती है।