देश की सर्वोच्च अदालत, सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए पैतृक संपत्ति से जुड़ा बड़ा बदलाव किया है। अदालत ने कहा है कि कोई भी व्यक्ति अब अपनी मर्ज़ी से पैतृक घर या जमीन नहीं बेच सकेगा। ऐसा करने से पहले परिवार के सभी सदस्यों की लिखित मंजूरी लेना अनिवार्य होगा। आइए पूरी जानकारी को आगे लेख में विस्तार से जानते हैं।

परिवार की संपत्ति अब “संयुक्त विरासत” मानी जाएगी
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि पैतृक संपत्ति को “संयुक्त पारिवारिक संपत्ति” माना जाएगा। इसका मतलब यह हुआ कि चाहे जमीन किसी एक व्यक्ति के नाम पर दर्ज हो, लेकिन उस पर पूरे परिवार का समान अधिकार रहेगा। पिता, पुत्र, पुत्री, पत्नी और सभी कानूनी उत्तराधिकारी इसका हिस्सा होंगे।
किसी एक व्यक्ति की मनमानी बिक्री अब नहीं चलेगी
हाल के वर्षों में कई पारिवारिक विवाद इस कारण सामने आए थे कि एक सदस्य ने बाकी लोगों की जानकारी या अनुमति के बिना पैतृक संपत्ति बेच दी। अदालत ने कहा कि अब ऐसा कदम अमान्य माना जाएगा। जब तक परिवार के सभी सदस्य लिखित रूप में सहमति नहीं देते, तब तक पैतृक जमीन या मकान बेचना संभव नहीं होगा।
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विवादित मामलों को सुलझाने का रास्ता
कानूनी विशेषज्ञों के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला उन परिवारों के लिए राहत लेकर आया है जिनकी संपत्ति वर्षों से विवादों में फंसी हुई थी। अब अगर कोई व्यक्ति धोखे से संपत्ति बेचने की कोशिश करता है, तो बाकी सदस्य अदालत में उस बिक्री को चुनौती दे सकते हैं और उसे रद्द करवाया जा सकता है। यह आदेश भविष्य में ऐसे कई पारिवारिक मामलों में मार्गदर्शक साबित होगा।
विरासत की सुरक्षा और पारिवारिक एकता पर जोर
यह फैसला न केवल संपत्ति के अधिकारों की रक्षा करता है, बल्कि परिवारों में आपसी एकता और पारदर्शिता बनाए रखने की दिशा में भी अहम कदम है। सुप्रीम कोर्ट ने यह सुनिश्चित किया है कि किसी एक सदस्य की गलती से पूरे परिवार की विरासत और सम्मान को नुकसान न पहुँचे।